( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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विवेकानन्द का राजयोग

    2 Author(s):  DR. KAMLESH PRASAD SHARMA , DR. KRISHNA GOVIND PANDEY

Vol -  4, Issue- 3 ,         Page(s) : 626 - 631  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

विषम परिस्थितियो में जब हिन्दुआंें को हिन्दु कहने मंें लज्जा का अनुभव होता था उस समय 12 जनवरी सन् 1863 को कोलकता में विश्व रत्न का जन्म हुआ जो अमेरिका में जाकर विश्व धर्म समेलन में भारत की धर्मध्वजा को फहरा कर भारत को हिमालय की सी गरिमा प्रदान की वह था भारत का आनंद विवेकानन्द। मानवता का सुमन सौरभ,चितंन की महानता, सागर की गहराई ,जीवन का संगीत, धर्म ,दर्शन व संस्कृति की त्रिवेणी ,वाककौशल का मानक ,ज्ञान का दर्पण ,मातृभूमि का सपूत तथा आत्मा का विकसित एवं सुन्दरतम् पुष्पगुच्छ तथा प्राचीन, मध्य एवं आधुनिक व वैदिक और पौराणिक एवं ऐसे अंनत जाज्वल्यमान सितारो का पंचम स्वर है देव दूत विवेकानन्द जो युग पुरूष के रूप में अवतरित होकर विश्व का नेतृत्व करता है।

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  3. Vivekanand's Literature :Part 4
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