International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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वेद एवं उपनिषद में परिकलिपत यम-नियम की अवधरणा ;विश्वशानित और समता के संदर्भ मेंद्ध
1 Author(s): SUSHMA DEVI
Vol - 4, Issue- 2 , Page(s) : 375 - 383 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय वाÄमय के इतिहास में वैदिक साहित्य का मूधर््न्य स्थान है, जिनके अन्तर्गत वेद, ब्राह्राण, आरण्यक और उपनिषद आते हैं। वेद भारतीय संस्कृति के मूलाधर तथा शाश्वत ज्ञान-विज्ञान के मूलस्रोत हैं। इनमें मानव जीवन प(ति को विकसित करने वाले समस्त तत्त्व समाहित हैं। वेदों में ज्ञान की जो अजस्रधरा प्रवाहित है वह मानवमात्रा के लिये ही नहीं अपितु समस्त विश्व के लिये कल्याणकारी है। वेदों के ज्ञानकाण्ड का प्रतिपादन ही उपनिषदों में किया गया है। उपनिषदों का मूल उददेश्य अपने पाठक एवं साध्क को मुकित प्रदान कराना है। उपनिषद के अèययन से âदय की सभी ग्रनिथयाँ नष्ट हो जाती हैं और जन्म-मृत्यु का बन्ध्न शिथिल पड़ जाता है। प्रस्तुत शोध्-पत्रा में वेद तथा उपनिषद के आधर पर यम-नियम का वर्णन किया गया है, जो विश्वशानित तथा समता की भावना को स्थापित करने में अतिसहायक है।