( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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साहित्यिक शोध्

    1 Author(s):  SIMMI CHAUHAN

Vol -  5, Issue- 4 ,         Page(s) : 95 - 99  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

शोध्, खोज, अनुसंधन, अन्वेषण, गवेष्णा सभी हिन्दी में पर्यायवाची शब्द हैं। इसी को मराठी में संशोध्न और अंग्रेजी में रिसर्च कहा जाता है। शोध् में सर्वथा नूतन सृष्टि का नहीं, अज्ञात को ज्ञात करने का ही भाव शामिल होता है। नए सृजन का अर्थ यह हुआ कि यह न ही पुराने कर्मों की नकल करता है, न ही उनकी मौलिक सच्चाई के विपरीत जाता है। वह पुराने कर्मों की हमारी समझ को नए संदर्भों में ढालता है और इसके साथ-साथ हमारे ज्ञान के आयाम को विस्तृत करता है।

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1. डाॅ. सावित्राी सिन्हा, डाॅ. विजयेन्द्र स्नातक - अनुसंधन की प्रक्रिया, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
2. रेने वेलेक, आस्टिन वारेन - साहित्य-सि(ान्त, अनुवादः बी.एस. पालीवाल, लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद, पृ.सं. 369
3. विनय मोहन शर्मा - शोध्-प्रविध्,ि नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, 1980
4. डाॅ. देवराज उपाध्याय - साहित्यिक अनुसंधन के प्रतिमान, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, 19069
5. डाॅ. नगेन्द्र - अनुसंधन: प्रविध् िऔर क्षेत्रा

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