International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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आधुनिक भारतीय समाज में बुनियादी शिक्षा की उपादेयता एवं निष्कर्ष
1 Author(s): SUNIL KUMAR
Vol - 5, Issue- 3 , Page(s) : 121 - 128 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
आज भारतीय समाज में मुख्य रूप से षिक्षित लोगों में शारीरिक श्रम के प्रति हीनता की भावना पैदा होने लगी है । यह वर्तमान षिक्षा प्रणाली का एक बड़ा दोष है । भारत जैसे देष जहां पर मानव श्रम बहुत बड़ी संख्या में उपलब्ध है वहां श्रम की अवहेलना करना देष की आर्थिक उन्नति में बाधक है । महात्मा गांधी ने षिक्षा के क्षेत्र में इसी कमी को पहचाना और बुनियादी षिक्षा के क्षेत्र में श्रम की प्रतिष्ठा कर षिक्षा को उत्पादकता से जोड़ने का प्रयास किया । गांधी जी के अनुसारी एक व्यक्ति को दान देने की बजाय यह कहीं बेहतर होगा कि हम उसकी आजीविका कमाने मेे उसकी सहायता करें और उसको श्रम करने के लिए प्रोत्साहित करें । श्रम या मेहनत ही सब विकासों का आधार है । आधुनिक भारतीय समाज में बेरोजगारी की समस्या एक महान समस्या है। इस समस्या का समाधान गांधी जी की आधारभूत या बेसिक षिक्षा के द्वारा किया जा सकता है जिसमें हस्त उद्योग द्वारा षिक्षण करने पर बल दिया गया है ।