( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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महात्मा गांधी : सत्याग्रह और निष्क्रिय प्रतिरोध

    1 Author(s):  DR ROHTASH JAMADAGNI

Vol -  4, Issue- 3 ,         Page(s) : 558 - 567  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भारतीय इतिहास में 'श्रीराम और 'श्रीकृश्ण के बाद 'महात्मा गांधी का नाम स्मरण किया जाता है क्योंकि उनके बाद कोर्इ व्यकित ऐसा नहीं हुआ जिसने गांधी से अधिक षब्द बोले हो, अक्षर लिखे हों, अनेक समुदायों से मिला हो, नि:संदेह गांधीजी 'महात्मा गांधी अपने दृढ, उच्च, आध्यातिमक दार्षनिक चरित्रगठन के कारण ही बने। इतिहास गवाह रहा है, गांधीजी का सार्वजनिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में षुरू हुआ। दक्षिण अफ्रीका में उनका स्वाभिमान चोटिल हुआ। उनको रेलगाड़ी से नीचे उतारा गया। उनका समान फैंक दिया गया। इसी काले-गोरे भेदभाव के कारण लड़े। वे मोहनदास से 'महात्मा गांधी बने।

1 मोहन राकेष, ‘समय सारथी’, दिल्ली: राधाकृश्ण प्रकाषन, 1972, पृ. 93
2 यंग इंडिया, 1 मार्च 1928
3 यंग इंडिया, 5 जनवरी 1922
4 वी.पी. वर्मा, ‘आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिन्तन’, आगरा: लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, पृ. 407
5 यंग इंडिया, 11 मई 1919
6 हरिजन, 11 फरवरी 1939
7 यंग इंडिया, 27 अप्रैल 1921
8 यंग इंडिया, 15 सितम्बर 1927
9 यंग इंडिया, 20 अक्टूबर 1927
10 यंग इंडिया, 8 दिसम्बर 1920
11 यंग इंडिया, 5 नवम्बर 1919
12 उपरोक्त
13 यंग इंडिया, 23 मार्च 1921
14 यंग इंडिया, 2 जून 1920 
15 यंग इंडिया, 30 जून 1920 
16 यंग इंडिया, 25 अगस्त 1920 
17 हरिजन, 18 अगस्त 1940
18 यंग इंडिया, 4 अगस्त 1921 
19 यंग इंडिया, 1 मई 1924 
20 यंग इंडिया, 17 अप्रैल 1930
21 उपरोक्त, 6 फरवरी 1922 
22 हरिजन, 13 अक्टूबर 1940
23 यंग इंडिया, 6 मई 1919 
24 यंग इंडिया, 12 फरवरी 1920
25 उपरोक्त, 10 मार्च 1920
26 हरिजन, 11 अगस्त 1946 
27 यंग इंडिया, 9 फरवरी 1921 - 2 फरवरी 1922

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