International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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दिनकर के काव्यों में सौंदर्य चेतना
1 Author(s): DR. UMASHANKER
Vol - 10, Issue- 9 , Page(s) : 374 - 381 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
दिनकर जी ने छायावादी युग में लिखना षुरू किया तथा छायावादोत्तर काल तक लिखते रहे। आचार्य रामचन्द्र षुक्ल ने उन्हें स्वच्छंद धारा का कवि बताते हुए लिखा है- श्छायावादी कवियों के अतिरिक्त वर्तमान काल में और भी कवि हैं जिनमें से कुछ ने यंत्र तंत्र ही रहस्यात्मक भाव व्यक्त किए हैं। उनकी अधिक रचनाएॅं छायावाद के अंतर्गत नही आतीं। उन सबकी अपनी अलग-अलग विषेशता है। इस कारण उनको एक ही वर्ग में नहीं रखा जा सकता। सुभीते के लिए ऐसे कवियों की समश्टि रूप से ष्स्वच्छंद धाराष् प्रवाहित होती है।