International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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वामपंथी संगठन एवं कृषक प्रतिरोध
1 Author(s): DR. PRIYANKA KUMARI
Vol - 11, Issue- 1 , Page(s) : 425 - 432 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
बिहार में कृषक दो शक्तियां से एक साथ जूझ रहे थे, एक तरफ साम्राज्यवादी औपनिवेशिक शासनतंत्र था तो दूसरी तरफ शोषक जमींदार। बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में बिहार की राजनीति में समाजवादी-साम्यवादियों के विस्तार के कारण कृषक प्रतिरोध को नई दिशा मिली। कांग्रेस की मुख्यधारा में समाजवादी विचारधारा वाले युवा नेताओं का दबदबा बढ़ने लगा, तो दूसरी ओर संवैधानिक सुधारों एवं विकास के कारण ‘चुनाव की राजनीति’ क्रमशः एक गम्भीर मुद्दा बनता जा रहा था। साथ ही संवैधानिक सुधार ने कृषकों को मतदान का अधिकार दिया, जिसके कारण ‘कृषकों की समस्या को राजनीतिक दलों ने मुखर आवाज दी। इसी क्रम में समाजवादी एवं साम्यवादी विचार वाले राजनीतिक दलों ने भी कृषकों की समस्या को उठाना प्रारम्भ किया और अपने झंडे के नीचे गोलबन्द करना प्रारम्भ किया। प्रस्तुत अध्याय में कृषक प्रतिरोध की इसी दिशा और दशा पर प्रकाश डाला गया है।