International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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पर्यावरण : वेदिक संहिता का दृष्टिकोण
1 Author(s): DR. SUBODH KUMAR
Vol - 11, Issue- 7 , Page(s) : 357 - 362 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि वर्त्तमान विष्व की सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण के असंतुलन की है, चाहे वह अर्द्धविकसित या विकासषील या विकसित देष हो। बात जहां विकसित देष की है तो वहां ही सर्वाधिक समस्या और चुनौती है, पर्यावरण को संतुलन में रखने की। मनुष्य अधिक स्वस्थ रहा करते थे क्योंकि प्रकृति में पर्यावरण का संतुलन बना हुआ था। प्रकृति के जितने विभाग है सभी एक दूसरे से संबद्ध है, जहां एक का क्षति हुआ कि दूसरा प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता क्योंकि सभी तथ्य एक दूसरे का पूरक है।