International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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वास्तुशास्त्र और मुहुर्त
1 Author(s): DR. SUBHASH CHANDRA MISHRA
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 482 - 494 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
वेद के षड्वेदाङ्ग में ज्योतिषशास्त्र का अन्यतम् स्थान है। ज्योतिषशास्त्र के तीन स्कन्ध है। जिसका नाम सिद्धान्तए संहिता और होरा है। ज्योतिषशास्त्र के विस्तृत क्षेत्र में जीव. विज्ञानए पदार्थविज्ञानए चिकित्साविज्ञान एवं वास्तुविज्ञान है। वास्तुविज्ञान को स्थापत्य शास्त्र भी कहा जाता है१। उपनिषद् काल तक गृह नगर दुर्ग तथा सेतु का निर्माण शुरु हो चुका था। उस समय नवद्वार वा पुर विस्तृत भवन लोहे के दुर्ग आदि का उल्लेख इस बात का संकेत देते है। कि तब तक वास्तु तथा स्थापत्य का भी विकास प्रारम्भ हो गया था२।