( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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रामचरितमानस रसामृत सिन्धु

    1 Author(s):  DR. POONAM KUMARI

Vol -  11, Issue- 7 ,         Page(s) : 286 - 293  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

”रस्यते आस्वाद्यते इति रसः” - इस व्युत्पत्ति के अनुसार जिसका आस्वादन किया जाय वही रस है। तैत्तिरीयोपनिषद् की मान्यता है - “रसो वैः सः” वह (परमात्मा) निश्चय ही रस स्वरूप है । गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस रसामृत सिन्धु है । रस रूप राम (परमेश्वर) का अयण (निवास स्थान) होने के कारण रामचरितमानस रामायण है । रसामृत सागर होने के कारण यह रचना बड़ी महिमाशालिनी है

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