( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन क्षेत्र जैव-विविधता की भूमिका एवं रोजगार के अवसर

    1 Author(s):  DR. PUSHPANJALI KUMARI

Vol -  11, Issue- 7 ,         Page(s) : 248 - 254  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन सालभर रोजगार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। सामाजिक क्षेत्र का उत्थान आर्थिक प्रगति का स्रोत माना जाता है। सामाजिक क्षेत्र का अर्थ है लोगों के आर्थिक उपार्जन की अवस्था, सामाजिक सुरक्षा एवं सुविधाएं, बाल-कल्याण, महिलाओं का उत्थान, साक्षरता एवं स्वास्थ्य की व्यवस्था से संबंधित है। पशुपालन मनुष्य के जीविकोपार्जन का प्राचीनतम साधन है चाहे उसका आरंभ जल-जन्तुओं को पकड़ कर खाने से ही क्यों नहीं हुआ हो अतः इस विषय के उदभव एवं विकास का अध्ययन आवश्यक है। पशुओं के अस्तित्व के लिए समुचित जलवायु, चारा और पीने के लिए पानी की सहज उपलब्धि आवश्यक शर्ते हैं। ये तत्व भी वहीं विद्यमान रहते है जहॅां की भूमि नम एवं उपजाऊ होती है ताकि वहॅा वृक्ष-वनस्पतियॅा विकसित हो सके जिनमें आरण्य पशु अपनी रक्षा करते हुए, स्वस्थ रहने के साथ-साथ अपनी वंश-वृद्धि भी कर सकें। किसी भी देश की पशु-सम्पदा क्षेत्र की जैव-विविधता एवं भूमि के प्रकार पर निर्भर करती है जो स्वयं जलवायु के तत्वों से प्रभावित होती है। भारत की विशाल भूमि, जिसमें अनेक प्रकार की जलवायु पाई जाती है, जो विभिन्न पशुओं के लिए उपयोगी रही है। जलवायु के परिवर्तनों के साथ-साथ भूमि और उस पर उगने वाली अनेक वनस्पतियों का स्वरूप भी परिवर्तित होता रहता है और इस प्रकार पशुओं के अस्तित्व और उनके विकास पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

1.भारतीय अर्थशास्त्र- डॅा0 सुमन, स्टूडेन्ट्स फ्रेन्डेस, गोविन्द मित्रा रोड, पटना। 
2. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार स्कीम, बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विभाग संस्थान।
3. पर्यावरण एवं विकास, प्रो0 (डॅा0) वी0 सी0 सिन्हा एवं पुष्पा सिन्हा।
4. ग्रामीण अर्थशास्त्र एवं सहकारिता, प्रो0 बी0 एस0 माथुर 
5. भारत में कृषि मजदूर- बी0 बी0 गिरी  
6. डॅा0 उग्र मोहन झा, भारतीय ग्रामीण अर्थशास्त्र 
7. न्यूज डेली हंट-12.08.2020 
8. कुरूक्षेत्र-मार्च 2020 
9. योजना-जुलाई 2020 
10 राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी -18 केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन भारत सरकार।
11- BIO- DIVERSITY - NURTURE  NATURE FOR BETTER FUTURE 2006-2007 
        (NCSTC- Govt. of India)  

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