International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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कुमाऊँ मण्डल की लोक कलाओं एंव परम्पराओं में निहित कलात्मक ज्यामितीय प्रतीकों का स्वरूप
1 Author(s): DEEPAK CHAND
Vol - 11, Issue- 7 , Page(s) : 68 - 71 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
लोक कलाओं को चाहे कलाकार द्वारा तुलिका से चित्रित किया जाऐ या किसी शिल्पी द्वारा औजारों से उकेरी जाऐ या चाहे इसमें परम्परानिहित नृत्य अथवा संगीत के स्वरों में व्यक्त की गई जो हमेशा ही प्रगतिशील कला का स्वरूप होता है। लोक कला के रूप में विभिन्न भौगोलिक परिस्थतियों में विभिन्न समुदायों द्वारा किए जाने के बाबजूद अपनी कलात्मक आंतरिक संरचना में अपनी एक मूल समानता कों समविष्ट किये होती है। अन्य क्षेत्रों में निवास करने वाले जनमानसों(समुदायों) की लोककलाओं में उन्हें प्रस्तुत करने के माध्यम अलग-अलग होने के बाबजूद भी आत्मिक रूप से पारम्परिक सम्बन्ध होता है।