International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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पंचायतीराज निर्वाचन में राजनीतिक दलों की भूमिका का प्रभाव
1 Author(s): DR. MOH. RAFIK KHAN
Vol - 8, Issue- 8 , Page(s) : 180 - 183 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय संविधान में लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की अवधारणा पंचायतीराज व्यवस्था के माध्यम से विकसित हुई है। इस प्रणाली में गॉधीवादी विचारधारा के स्पष्ट दर्षन होते है। विष्व के सबसे बडे लोकतंत्र में जन-जन की षासन की गतिविधियों में सहभागिता को विकसित करने का साधन है- पंचायतीराज। 73वॉ संविधान संषोधन पंचायतीराज व्यवस्था को सुदृढ बनाने की दिषा में मील का पत्थर साबित हुआ। विषेष रूप से नियमित अन्तराल अर्थात् प्रति पाँच वर्ष पष्चात् नियमित रूप से पंचायतीराज संस्थाओं के निर्वाचन करवाना तथा महिलाओं और पिछडे वर्गो को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करना एक साहसिक कदम है। ग्रामीण विकास की गति को त्वरित करने एवं अधिक प्रभावी बनाने तथा सामान्य जनता को राजनीतिक षिक्षा प्रदान करके षासन व्यवस्था में जनसहभागिता को बढावा देने के लिए नियमित रूप से निर्वाचन संभव करवाना आवष्यक है। पंचायतीराज संस्थाओं के निर्वाचन में विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया के प्रारंभ से लेकर विजयी होने के बाद विभिन्न बोर्डो के गठन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में राजनीतिक दलों का बहुत प्रभाव पडता है।