International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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सर्वजन हिताय की भाषा अवधी में तुलसीदास का योगदान
1 Author(s): DR. POONAM KUMARI
Vol - 11, Issue- 3 , Page(s) : 138 - 140 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
प्रातः स्मरणीय काव्य शिरोमणि, कवि कूल-भूषण कुमुद- कलाधर प्रभु-भक्त वरेण्य सन्त, गोस्वामी तुलसीकृत रामचरितमानस एक कालजयी रचना है। जिस युग में इस कालजयी कृति की रचना हुई, भारतीय समाज अध्यात्म और नैतिकता की दृष्टि से अधःपतन की ओर अग्रसर हो रहा था। उस समय एक एैसे चरित्र नायक की आवश्यकता थी, जो जनमानस के समक्ष आदर्श उपस्थित हो सके। इस पुनीत कार्य को गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना करके सम्पन्न किया। चरित्र नायक मर्यादा पुरूषोत्तम राम और चरित्र नायिका देवी सीता के चरित्रों के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी ने भारतीय संस्कृति को एक एैसी दिव्यता प्रदान की है, जिसके ऋण से भारतीय समाज कभी उऋण नहीं हो सकता।