International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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20 लाख करोड रूपये का आर्थिक पैकेज: प्रोत्साहन पैकेज या वित्तीय प्रबंधन है राहत पैकेज या प्रत्यक्ष वित्तीय मदद नही।
2 Author(s): DR. MUKESH KUMAR , DR. ANITA JAIN
Vol - 11, Issue- 5 , Page(s) : 68 - 77 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
द्वितीय विष्व युद्ध के बाद दुनिया को पहली बार 2008-09 के वैष्विक वित्तीय संकट से उत्पन्न मंदी का सामना करना पडा था, जिससे वैष्विक अर्थव्यवस्था सिकुड गयी थी। इस वर्श भी भारत न केवल 3.9 फीसद की दर से वृद्धि करने में सफल रहा था बल्कि उसके अगले 2 वित्त वर्शो में जीडीपी वृद्धि दर 8 प्रतिषत से अधिक रही थी। हालाॅंकि ऐसा भारी भरकम राजकोशीय और मौद्रिक पैकेजो से ही सभंव हुआ था जिसके साथ ऊॅचे घाटे और मुद्रा स्फीति के दुश्प्रभाव भी जुडे हुए थे। इससे पूर्व 1991-92 में भुगतान संतुलन के संकट ने भारत को आ घेरा था। यद्यपि वह विषुद्ध रूप से घरेलू किस्म का संकट था जिसकी बुनियाद उससे पिछले दषक में बेतरतीब सरकारी खर्च ने रखी थी। इस मुष्किल काल में भारत की जीडीपी वृद्धि दर महज एक प्रतिषत रह गयी थी। भारत उस संकट से न केवल बखूबी निपटा बल्कि उसने उन आर्थिक सुधारो की आधारषिला भी रखी जिन्होने देष को तेज आर्थिक वृद्धि की ओर उन्मुख किया।