( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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‘रश्मिरथी‘ में दलित चेतना

    1 Author(s):  UMA SHANKER

Vol -  11, Issue- 1 ,         Page(s) : 352 - 357  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ द्वारा लिखित ‘रश्मिरथी‘ का प्रकाशन 1952 ई॰ में हुआ। इस रचना की भूमिका में कवि ने स्वंय माना है कि ‘प्रबंध काव्य‘ लिखने के मोह तथा अपने समय और समाज के विषय में विचार व्यक्त करने की चाहत ने उन्हें ‘रश्मिरथी‘ लिखने की पे्ररणा दी। ‘कर्ण‘ एक मिथकीय पात्र है। उसका उदात्त चरित्र विख्यात है। यह माना जाता है कि कर्ण की माता कुन्ती तथा पिता सूर्य थे। कुन्ती ने अपनी कौमार्यावस्था में ही कर्ण को जन्म दिया तथा लोकलाज के भय से उसे एक मंजूषा में रखकर नदी में बहा दिया। यह मंजूषा एक सूत को मिल गई। सूत और उसकी पत्नी ने ही बालक कर्ण का लालन-पालन किया। इसलिए, कर्ण को सूत पुत्र तथा ‘शूद्र‘ भी कहा गया ।

रश्मिरथी: दिनकर,  उदयाचल प्रकाशन पटना 2001 पृ॰ 10
मैनेजर पाण्डेय, साहित्य और दलित दृष्टि: संपादक सर्वेश कुमार मौर्य पृ॰ 48
मैनेजर पाण्डेय, साहित्य और दलित दृष्टि: संपादक सर्वेश कुमार मौर्य पृ॰ 51
दलित साहित्य के प्रतिमान: डाॅ॰ एन॰ सिंह पृ॰ 55
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 31
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 31
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 31
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 33
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 49
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 20
दलित साहित्य और डाॅ॰ उम्बेडकर (लेख): डाॅ॰ जय प्रकाश कर्दम - राष्ट्रीय सहारा, दैनिक, दिल्ली, रविवार, 29 अगस्त 1999 पृ॰ 14
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 19
रश्मिरथी: दिनकर पृ॰ 20

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