International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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लोकसाहित्य का महत्व
1 Author(s): DR. RICHA VERMA
Vol - 11, Issue- 2 , Page(s) : 131 - 133 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
लोकजीवन में लोकसाहित्य का अत्यंत ही महत्व है। इसके संरक्षण एवं अनुशीलन के द्वारा साहित्य का विकास किया जा सकता है। साहित्य में धर्म, समाज, सदचार आदि बातोें का समावेश मिलता है। इसके अलावा साहित्य के द्वारा स्थानीय इतिहास एवं भूगोल संबंधी जानकारी भी प्राप्त होती है। लोक साहित्य जनता के हृदय का उद्गार है। लोक गीत, लोक-गाथा, लोक-कथा, लोक-नृत्य इत्यादि ये भी लोक साहित्य के अंग माने गए हैं। इसके अलावा लोक सुभाषित जिसके अन्तर्गत बच्चों के गीत, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, पहेलियाँ इत्यादि आते हैं। जिनका व्यवहार प्रतिदिन लोक-जनजीवन में समान रूप से किया जाता है।
1. लोक साहित्य की भूमिका - डाॅ कृष्णदेव उपाध्याय2. भोजपुरी लोक गीत भाग - 1 डाॅ कुष्ण देव उपाध्याय