( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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पाषण युग : ट्रेजेड़ी के बीच संकल्प का स्वप्न

    1 Author(s):  PROF. MS. SANJYOTI MAHADEO SANAP

Vol -  1, Issue- 1 ,         Page(s) : 199 - 205  (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

सन् २००२ ई. में आधार प्रकाशन, पंचकूला (हरियाणा) से प्रकाशित आत्मपरक शैली में श्रीमती संजना कौल द्वारा लिखित ‘पाषाण युग’ उपन्यास हिंसा और आतंक की अंतहीन यात्रा से गुज़रती काश्मीर की भूमि को किसी काश्मीरी की निगाह से देखकर लिखा गया २१ वी सदी का पहला महत्वपूर्ण उपन्यास है। इस ट्रेजेड़ी अर्थात् दुःखांत कथानक में नायिका अंजलि हो या उसकी सहेली नसीम, सबसे होकर गुज़रती और शेष रहती है अखिल भारतीयता से आपूरित काश्मीरीयत अर्थात् काश्मीर! वस्तुतः यह काश्मीरीयत...काश्मीर क्या है? इसकी बड़ी मार्मिक काव्यात्म व्याख्या बहुत पहले ही संस्कृत भाषा के काश्मीरी महाकवि कल्हण ने १२ वी सदी के मध्य (सन् ११४८-११४९ ई.) में अपने सुप्रसिद्ध इतिहास ग्रंथ ‘राजतरंगिणी’ के प्रथम तरंग के ३९ वे श्लोक में कुछ इसप्रकार की है

१. ‘कल्हण’कृत ‘राजतरंगिणी’ ; भाष्यकार : रघुनाथ सिंह ; प्रकाशक : हिंदी प्रचारक संस्थान,   वाराणसी-१
२. ‘पाषण युग’, लेखिका : संजना कौल ; आधार प्रकाशन, पंचकूला (हरियाणा)
३. ‘आज के प्रश्न : कश्मीर का भविष्य’, संपादक : राजकिशोर ; वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली-२
४. ‘समय ओ भाई समय’, कवि : पाश ; संपादन-अनुवाद : चमन लाल ; राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली-२
५. ‘कश्मीर रात के बाद’, लेखक : कमलेश्वर ; किताबघर प्रकाशन, नई दिल्ली-२ 

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