( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 90    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

वृद्धजनों की स्थिति एवं समस्याएँ

    1 Author(s):  DHANESH RAM

Vol -  11, Issue- 1 ,         Page(s) : 232 - 239  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हमारे समाज में परम्परागत रूप से बुजुर्गों की एक सम्माननीय जगह रही है। उन्हेें परिवार के मुखिया के रूप में मर्यादा दी जाती रही है। दादा-दादी परिवार को छत्रछाया देने वाले होते थे। समाज में उनका स्थान था। आज स्थितियां बदल चुकी है। विकास एवं प्रगति के बीच पारिवारिक मूल्यों का क्षरण हुआ है। मानवीय संवेदनाएं दम तोड़ रही हैं। बाजारवादी संस्कृति ने मनुष्य को उत्पाद के रूप मेें देखना शुद्ध कर दिया है। उसे उपयोगी-अनुपयोगी के पैमाने से देखा जाता है। भारतीय संस्कृति के मूल्य अपना अर्थ खोते जा रहे हैं। बुजुर्गों के अनुभवों को अमूल्य निधि समझने वाला भारतीय समाज उन्हेें फिजूल और बोझ मानने लगा है। बुजुर्गों की हालत दयनीय और चिंताजनक है। आज वे घोर अवमानना, भावनात्मक रिक्तता और उदासी का जीवन जीने को बाध्य हैं। उदास मन और थका तन उनकी नियति है। आज बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपने बेटे और बहू से प्रतिदिन शाब्दिक, हावभाव, व्यवहारों और शारीरिक हिंसा के शिकार हो रहे हैं। वे प्रताड़ना झेलने को अभिशप्त हैं।

1. पुरोहित, सी.के. एण्ड शर्मा आर, ‘‘ए स्टडी आॅफ एज्ड 60 इयर एण्ड एबोव इन शोसियल प्रोफाइल’’, इंडियन जनरल आॅफ जेरेन्टोलाॅजी, 1972
2. देसाई, के.जी. (एडिटेड), ‘एजिंग इन इण्डिया’ टाटा इन्स्टीट्यूट आॅफ सोशियल साइन्सेज, बाम्बे 1986
3. मिश्रा, सरस्वती, ‘प्रोबलम आॅफ सोशियल एडजस्टमेन्ट इन ओल्ड एज’, ए सोशियोलाॅजिकल एनलेसिस’ ज्ञान पब्लिकेशन, नई दिल्ली,1989
4. भारत की जनगणना 2001
5. संयुक्त राष्ट्र की जनगणना
6. हिन्दुस्तान दैनिक समाचार पत्र, 25 फरवरी, 2009, पृ.2
7. सुमति कुलकर्णी, बृद्धजनोें को सहारा, योजना, जुलाई 2017

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details