( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारत में किशोर-अपराध की बदलती प्रवृत्तियाँ

    2 Author(s):  DR. R.K. THAKUR, MD. NISAR

Vol -  10, Issue- 9 ,         Page(s) : 366 - 373  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

किशोर-अपराध एक गम्भीर समस्या है, जो समकालीन समाज के समक्ष एक चुनौती है। यह चुनौती इसलिए भी गम्भीर है, क्योंकि आज का किशोर ही कल का नागरिक होगा। साथ ही यह चुनौती न सिर्फ भारत जैसे विकासशील समाज की है, बल्कि इंग्लैंड, जापान व संयुक्त राज्य अमेरीका जैसे विकसित देशों की भी है। जैसे-जैसे औद्योगीकरण एवं नगरीकरण की प्रक्रिया बढ़ रही है, वैसे-वैसे किशोर अपराध की संख्या एवं इसकी जटिलता बढ़ती जा रही है। ‘‘किशोर अपराधी न केवल उस किशाोर को कहा जाता है, जो कानून की अवहेलना करता है, बल्कि उसे भी जिसका आचरण समाज अस्वीकार करता है। किशोर अपराध की प्रवृत्तियों में हो रहे परिवर्तन ने एक नए विमर्श को जन्म दिया कि आयु नहीं अपराध की प्रकृति व गम्भीरता के आधार पर दोषी को सजा दी जाये। अपराधों को अंजाम देने में अब उनकी उम्र आड़े नहीं आती, बल्कि जघन्य अपराधों में उनकी क्रूरता कई बार पेशेवर अपराधियों को भी पीछे छोड़ देती है। कठोर कानून बनाने मात्र से किशोर अपराध रूकने वाला नहीं है, क्योंकि ये किशोर तो कानून की बारीकियाँ भी नहीं जानते। इन्हें तो सिर्फ और सिर्फ सही समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा ही सुधारा जा सकता है।

1. ए0टी0 जर्सील्ड-द सायकलॉजी ऑफ एडोल्सेन्सः न्यूयार्क मैकमिलन 1957 पृ0 सं0 3
2. एम0जे0 सेथनाः सोसायटी एण्ड द क्रीमिनल, लीडर्स प्रेस लिमिटेड बाम्बे 1952 पृ0सं0 123
3. डी0आर0 टैफ्ट, क्रीमिनोलॉजीः ए कल्चरल इन्टरप्रेटेशन, न्यूयार्क मैकमिलन, 1950, पृ0सं0 6
4. थार्स्टेन सेलिन- कल्चर, कॉन्फ्लिक्ट एण्ड क्राइम, सोशल सायंस रिसर्च काउन्सिल, न्यूयार्क, 1938, पृ0सं0 32-33
5. तदैव
6. हैकरवाल-इकॉनोमिक एण्ड सोशल आस्पेक्ट्स ऑफ क्राइम इन इण्डिया, 1927 पृ0 सं0 27
7. एम0 जे0 सेथना: तदैव, पृ0सं0 125
8. सीरिल बर्ट, द यंग डेलीन्क्वेन्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ लन्डन, लन्डन (फोर्थएडिशन) 1955 पृ0सं0 15
9. शेल्डन एण्ड ग्लूक, अनरेवेलिंग जूवेनायल डेलीन्क्वेन्सी, हार्पर बा्रेस, न्यूयार्क 1950, पृ0सं0 3
10. सेकेन्ड यूनाइटेड नेशन्स कॉन्ग्रेस ऑन द प्रिवेंशन ऑफ क्राइम एण्ड ट्रीटमेंट ऑफ आफेन्डर्स लन्डन, 1960 रिपोर्ट ऑन न्यू फार्मस ऑफ जूवेनायल डेलीन्क्वेन्सी, दियर ओरिजिन, प्रिवेंशन एण्ड ट्रीटमेंट पृ0सं0 61.
11. फ्रेडरिक बी0 सुसमन्न, लॉ ऑफ जूवेनायल डेलीन्क्वेन्सीः द लॉ ऑफ फोर्टीएट स्टेट्स, ओसियाना पब्लिकेशनस, न्यूयार्क 1950, पृ0सं0 21.
12. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 16/11/2014, पृ0 सं0 10
13. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 04/06/2015 पृ0 सं0 12
14. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 11/11/2015, पृ0 सं0 10
15. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 26/09/2017, पृ0 सं0 09
16. हिन्दुस्तान, नई दिल्ली 5/08/2018, पृ0सं0 4
17. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 12/09/2018, पृ0 सं0 08
18. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 26/09/2017 पृ0 सं0 09
19. अमर उजाला, मुरादाबाद दिनांक 18/08/2014 पृ0 सं0 10

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