( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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नागौर में जल प्रबंधन - सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक आयाम

    1 Author(s):  MAMTA SHARMA

Vol -  11, Issue- 1 ,         Page(s) : 143 - 146  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

मरूधरा में तो जल ही जगदीश है। नागौर क्षेत्र की भौगोलिक विविधता को देखते हुए स्थानीय लोक जीवन में जल संग्रहण की प्रवृत्ति में इस सूक्ति की सार्थकता झलकती है। नागौर जिले का सामान्य ढाल पश्चिम दिशा की ओर है तथा डूंगरी, भाखरी संज्ञक छोटी-छोटी पहाड़ियों से निकलने वाले बरसाती नाले सामान्यतः पूर्व में पश्चिम दिशा की ओर ही बहते है। लोक प्रचलन में कहीं-कहीं बरसाती नालों को भी नदी ही कहा जाता है यथा बड़ोद नदी।1 जल-अपवाह तंत्र की दृष्टि से नागौर जिले में किसी भी बड़ी नदी का उद्गम क्षेत्र नहीं है।2 अजमेर जिले से निकलने वाली लूणी नदी नागौर सीमा में लगभग 37 किलोमीटर बहती है जिसके तट पर आलनियावास, लूंगिया, रोहिसा, रोइजी, जसनगर तथा सुरपुरा गांव बसे हुए है। यहाँ के गांवो-कस्बों में छोटे-बड़े तालाबों की प्रचुरता है। नागौर नगर के पहले ही प्रवेश द्वारों के बाहर एक-एक तालाब है। नगर के मध्य में गिनानी तालाब है और शेष प्रवेश द्वारों के पास झड़ा तालाब (नकास दरवाजा), बख्तसागर (माही दरवाजा), प्रतापसागर (नया दरवाजा), शक्कर तालाब (दिल्ली दरवाजा), समस तालाब (दिल्ली दरवाजा) और लाल सागर (कुम्हारी दरवाजा) स्थित है। इससे स्पष्ट है कि नागौर में जल प्रबंधन के प्रति गहरी सजगता रही है।

1. क्षीरसागर, डी.बी. एवं नवल कुमार-नागौर का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक वैभव, पृ.सं. 40।
2. गुप्ता, डाॅ. मोहनलाल - नागौर का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास शुभदा प्रकाशन, जोधपुर, प्र.सं. 1999 पृ.सं. 19।
3. भाटी, डाॅ. हुकमसिंह - मारवाड़ के ओहदेदारों का इतिहास में योगदान महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र, जोधपुर, प्र. सं. 2013 पृ.सं. 172।
4. गुप्ता, डाॅ. मोहनलाल - वही - पृ. सं. 262।
5. वही - पृ. सं. 269।
6. वही - 271
7. वही - 273
8. वही - 278
9. वही - 286
10. वही - 288
11. मारवाड़ रा परगनां री विगत (भाग - प्रथम) पृ. सं. 587।
12. जैन, मीनाक्षी एवं अन्य - “आर्किटेक्चर आॅव ए रोयल कैम्प - दा रिट्रीण्ड फोर्ट आॅव नागौर” ए.ए.डी. आई. सेंटर, अहमदाबाद, प्र.सं. 2009 प्र.सं.106

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