( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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एम.एन राय का नव-मानववाद की अवधारणा

    1 Author(s):  DR. BEENA MAHLAWAT

Vol -  10, Issue- 11 ,         Page(s) : 29 - 36  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

एम.एन राय नव-मानववाद को सर्वश्रेष्ठ मानते थे, जिसके द्वारा मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता बन सकता है, ऐसा उनका विचार था। इस वाद में न तो राष्ट्रवाद की भावना का समावेश है और न ही रंगभेद का। उन्होंने विचारों में मानव की व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को सर्वोपरि माना। एम.एन. राय के अनुसार, व्यक्ति की तर्कशक्ति उसके ज्ञान के विस्तार के साथ जुड़ी है। अतः जहाँ अज्ञान की सीमाएं टूटती हैं, वहाँ वह नई जीवन-पद्धति की तलाश करता है। यही तलाश उसकी स्वतंत्रता को सार्थक करती है। अतः मनुष्य की स्वतंत्रता ज्ञान के विस्तार के साथ-साथ अपनी आकांक्षाओं के विस्तार में निहित है। राय का नव-मानववाद ‘मनुष्य’ को संपूर्ण सृष्टि की धुरी मानता है। वह शुद्ध ‘मनुष्य’ को मान्यता देता है-ऐसे मनुष्य को नहीं जो किसी ‘वर्ग’, ‘राष्ट्र’ या अन्य प्रकार के सीमित समूह के पूर्व-निर्धारित लक्ष्य के साथ बँधा हो। स्वतंत्र मनुष्य अपनी सहज-स्वाभाविक तर्कशक्ति से प्रेरित होकर अपनी सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परस्पर सहयोग के संबंध में बंध जाते हैं। संक्षेप में, राय ज्ञान के अनंत विस्तार और मानव-विकास की अनंत संभावनाओं के प्रति आशावान हैं। चूंकि इस विकास की कोई सीमा नहीं है, इसलिए हमारे वर्तमान ज्ञान के आधार पर इसका कोई पूर्व-निर्धारित लक्ष्य स्वीकार नहीं किया जा सकता। स्वतंत्रता की पहली शर्त वर्तमान बंधनों को तोड़ना है। मानवेन्द्र नाथ राय का आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिंतन में विशिष्ट स्थान है। राय का राजनीतिक चिंतन लम्बी वैचारिक यात्रा का परिणाम है। वे किसी विचारधारा से बंधे हुए नहीं रहे। उन्होंने विचारों की भौतिकवादी आधार भूमि और मानव के अस्तित्व के नैतिक प्रयोजनों के मध्य समन्वय करना आवश्यक समझा।

   दीक्षित, चन्द्रोदय, मानववादी विचार: एम.एन. राय, लोकभारती प्रकाशन, नई दिल्ली, 2007, पृ. भूमिका से साभार
   राय, एम.एन., बियोन्ड कम्यूनिज्म टू ह्यूमेनिज्म, पृ. 87
   राय, एम.एन., इंडियन प्रॉबलम्स एण्ड देयर सोल्यूशन्स, पृ. 33
   राय, एम.एन., दी फ्यूचर ऑफ इण्डियन पॉलिटिक्स, पृ. 54
   शर्मा, बी.एम., शर्मा, राम कृष्ण दŸा एवं शर्मा, सविता, भारतीय राजनीतिक विचारक, रावत प्रकाशन, जयपुर, 2005, पृ. 343
   एमएन रॉय: जिन्हें भारत का पहला वैश्विक नेता कहा जाना चाहिए, सत्याग्रह, 26 जनवरी, 2019
   राय, एम.एन., न्यू ह्यूमेनिज्म एण्ड पॉलिटिक्स, पृ. 76
   राय, एम.एन., पॉलिटिक्स, पावर एण्ड पार्टीज, पृ. 97

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