( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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कुमाऊँ में प्रचलित पर्व एवं उत्सव का अध्ययने

    2 Author(s):  RENU, DR. GITA PYAL

Vol -  3, Issue- 3 ,         Page(s) : 149 - 158  (2012 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

कुमाऊँनी लोक संस्कृति के अनिवार्य घटकांे में कुमाऊँनी मेलों का महत्वपूर्ण स्थान है। मेले पर्व एवं त्यौहार लोक-जीवन एवं लोक संस्कृति के अभिन्न एवं अमूल्य अंग होते है। मानव जीवन की विभिन्न भावानुभूतियाँ ज्ञान विज्ञान का सार लौकिक व्यवहारों की मधुर परम्परा सामाजिक प्रतिमानों सामाजिक मूल्यों संास्कृतिक परम्पराओं फैशन सामाजिक लोकाचारों तथा प्रथाओं, सामूहिक धार्मिक एवं सामाजिक विचारों की अनेकानेक पर्ते इनमें आयोजित रहती है। यही कारण है कि अनेकों युग बीत जाने के उपरान्त भी ये लोक जीवन एवं संस्कृति के साथ बने रहते हंै। विशिष्ट सु-अवसरों पर लोक-मानस न केवल अपने दैनिक जीवन सम्बन्धी सामान्य क्रिया-कलापों एवं दुख दर्दांे से ही राहत नहीं पाता है अपितु इन विशेष शुभ अवसरों पर एक अनूठे आनन्द की अनुभूति भी करता है। इन मेलांे एवं त्यौहारांे के माध्यम से एक ओर कुमाऊँ की प्राचीन मान्यतायें प्रतिष्ठत बनी हंै। तो दूसरी ओर यहाँ के विभिन्न जातियों के लोग एक अटूट प्रेम-बन्धन से बंधे रहते हैं इस प्रकार परम्पागत सामाजिक प्रतिमानों एंव मूल्यों के मध्य विशिष्ट ढंग से मनाये जाने के कारण कुमाऊँ की लोक संस्कृति में इन पर्वों एवं त्यौहार मेलों का अपना अनुठा एवं महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ के मेले पर्व एवं त्यौहार कुमाऊँ के लोक जीवन की आधार-शिलायें हंै। यहाँ प्रत्येक मानव को अपने धर्म एवं सांस्कृतिक परम्पराओं को निरन्तर बनाये रखकर वर्ष में विशेष दिनों एवं अवसरों को हर्षांेल्लास एवं उत्साह पूर्वक मनाने का अधिकार है।

1. सांक्रत्यायन आर0 ः कुमाऊँ ज्ञानमण्डल लि0 वाराणसी
2. वटरोही एल0एस0 ः कुमाऊँनी संस्कृति 1977-उपयोगी प्रकाशन, रूद्रपुर
3. बिष्ट शेरसिंह ः कुमाऊँ हिमालय समाज एवं संस्कृति 2007 गोपेश्वर प्रकाशन अल्मोड़ा
4. जोशी कृष्णानंद ः कुमाऊँ का लोक साहित्य-प्रकाश बुक डिपो, बरेली
5. एटकिन्सन, ई0एच0 ः दि हिमालयन गजेटियर
6. टण्डन किरण, ‘लोकरत्न पन्त रचनावली’’, ईस्टर्न बुक लि ंकर्स दिल्ली, 2008, पृष्ठः199
7. अधिकारी पूरन सिंह, ‘मौखिक परमपराओं में प्रतिबिम्बित सामाजिक व आर्थिक जीवन’ अप्रकाशित शोध प्रबन्ध (इतिहास) कु0 वि0 वि0 नैनीताल, 2002 पृष्ठः136 
8. राठी कृष्णा, ‘सत्येन्द्र’ कुश, ‘कुमाऊ ँ की लोक कला, संस्कृति और परम्परा’ श्री अल्मोड़ा बुक डिपो, 2009, पृष्ठः21
9. शर्मा प्रतिभा, ‘उत्तराखण्ड के लोक यंत्रों एवं लोक तकनीकी का सा ंस्कृतिक,ऐतिहासिक अध्ययन’, शोध प्रबन्ध (अप्रकाशित) इतिहास, कु0वि0वि0, नैनीताल, पृष्ठः44, 86-88
10. जोशी कृष्णानन्द, ‘कुमाऊँ का लोक साहित्य, परिचयात्मक संग्रह’, प्रकाश बुक डिपो बरेली, 2011, पृष्ठः402-403
11. सकलानी ‘मेकेनिकल स्टेªटजीज इन फा ेक म ेडिसन इन रवा ंई (गढ़वाल हिमालयाज), पृष्ठः234
12. लोगान एन0 एच0, ‘ह्यूमोरर मेडिसन इन ग्वाटेमाला एंड पिजेन्ट एक्सेप्टेंस आफ माडर्न मेडिसन’’, पृष्ठः385-395
13. पुष्पंगंदन पी0, ‘ट्रेडीसनल मेडीसन’, पुस्तक ‘सप्लीमेंट टू कल्टीवेशन एंड यूटीलाइजेशन आफ मेडीसनल प्लांट्स’, रीजनल रिसर्च लैबोरेटरी सी0 एस0 आर0 जम्मूतवी 1996, पृष्ठः689
14. अग्रवाल महाबीर (सम्पादक), ‘लोक संस्कृति आयाम एवं परिप्रेक्ष्य’, पृष्ठः126
15. बोरा हीरा सिंह, ‘द राजीः केव ड्वेलर्स आफ द हिमालयाज’ एच0 एस0 सक्सेना, बी0 आर0 के0 शुक्ला, पी0 के 0 तिवारी, पी0 एन0 शर्मा (सम्पादक) पर्ससेक्टिव इन ट्राइबल डेवलेपमेंट फोकस आन उत्तर-प्रदेश, इथनोग्राफी एंड फोक कल्चर सोसाइटी लखनऊ, प्रथम संस्करण, 2012, पृष्ठः187-193

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