( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 493    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

मत्स्य क्षेत्र का ऐतिहासिक परिशीलन

    1 Author(s):  PREM SINGH SIKARWAR

Vol -  4, Issue- 2 ,         Page(s) : 535 - 539  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में मत्स्य जनपद में अनेक ऋषि-मुनियों, काव्यकारों एवं साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है इनमें अवंति नरेश विक्रमादित्य के भार्इ भतर्ृहरि का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता उनके शतकत्रय-नीतिशतक, वैराग्यशतक, श्रृंगारशतक जनमानस में काफी लोकप्रिय हुए तथा उनके नाटक जन-जन में आज भी व्याप्त है।

1 राजस्थान का इतिहास - शर्मा एवं व्यास, पंचशील प्रकाशन जयपुर - 2009
2 नीतिशतक - बाबू हरिदास वैद्य - हरिदास एण्ड कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड - मथुरा (उत्तर प्रदेश) - 2009
3 वैराग्य शतक - बाबू हरिदास वैद्य -2009
4 राजस्थान गौरवम् - अलवर जनपदीया सारस्वत समर्चन डाॅ श्याम शर्मा - 2009
5 सुगम राजस्थान - च्यवन प्रकाशन - जयपुर - जून 2012

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details