( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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पर्यावरण सुधार में पंचायती राज की भूमिका (राजस्थान के सीकर जिले के विषेष संदर्भ में)

    1 Author(s):  DR. RAKESH VERMA

Vol -  8, Issue- 3 ,         Page(s) : 175 - 184  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भारत के गाँव प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न रहते आये हैं परन्तु जीवन की कैसी विडम्बना है कि जिस प्रकृति ने हमें शुद्ध जल, वायु और हरी-भरी धरा दी हैं। उसे हम अपनी सुख सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए उसके रंग-बिरंगे हरियाली युक्त आँचल को उतारने पर तुले हुए हंै तथा उसे लगातार प्रदूषित कर रहे हैं। इस बढ़ते प्रदूषण का प्रभाव राजस्थान के सीकर जिले के ग्रामीण परिवेष पर भी देखने को मिलता हैं। यहाँ बढ़ता हुआ अरवाली पहाड़ियों का खनन, बढ़ते ब्रिक्स उद्योग, घटता भू-जल स्तर, धूल भरी आँधियां एवं बढ़ते मरुस्थल ने इसे अन्य जिलों की तुलना में अधिक प्रदूषित किया हैं। घटते प्राकृतिक संसाधनों के कारण पारस्थितिकीय असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होने से पंचायतें अपने उद्देष्यों में सफल नहीं हो पा रही हैं। बढ़ती जनसंख्या, बारिष कम होना, जल की अधिक खपत वाली फसलों का उत्पादन, परम्परागत जल स्रोतों पर ध्यान नहीं देने से जिले में भू-जल स्तर की स्थिति चिंताजनक हैं।

  1. पर्यावरण अध्ययन, काॅलेल बुक हाऊस, चैड़ा रास्ता, जयपुर-2005
  2. भारत में स्थानीय प्रषासन, आर.बी.एस.ए. पब्लिषर्स, जयपुर-2016
  3. राजस्थान विकास, पंचायती राज विभाग, राजस्थान, त्रैमासिक पत्रिका, अक्टूबर-दिसम्बर-2016
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  5. राजस्थान पत्रिका अखबार, दिनांक 10.06.2014, पृ.स.-8
  6. पर्यावरण अध्ययन, आॅरियन्ट लाॅग्मैन प्रा.लि.1/24, नई दिल्ली-2006, पृ.सं.-101-106
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  8. पारस्थितिकी एवं पौधों की उपयोगिता, रस्तोगी पब्लिकेषन्स, गंगोत्री, मेरठ-2006
  9. कुरूक्षेत्र मासिक पत्रिका, ग्रामीण विकास मंत्रालय नई दिल्ली, दिसम्बर-2016
  10. राजस्थान पत्रिका अखबार, दिनंाक 16.04.2017, पृ.सं.-14
  11. पर्यावरण षिक्षा, इण्टरनेषनल पब्लिसिंग हाऊस, मेरठ-2005
  12. राजस्थान पंचायत कानून मार्गदर्षिका, पंचायती राज जन चेतना संस्थान, जयपुर
  13. पर्यावरण प्रषासन एवं मानव पारिस्थितिकी, राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर-2007, पृ.सं.-269-279

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