( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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समकालीन आदिवासी चित्रकार

    1 Author(s):  SANDEEP KUMAR MEGHWAL

Vol -  7, Issue- 12 ,         Page(s) : 340 - 345  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

यूं तो सभी आधुनिक कलाआंे का उत्पती आदिवासी कलाएं रही हैं पर समकालीन कला में जिनमे दो आदिवासी कलाकारों का नाम पहले आता है, उनमें एक हैं महाराष्ट्र के जिव्या सोमा मशे और दूसरे हैं छत्तीसगढ़ के जनगढ़ सिंह श्याम। ये दोनों परंपरा को लेकर चलने वाले और परंपरा की नई परंपरा विकसित करने वाले कलाकार हैं। समकालीन भारतीय चित्रकला के क्षेत्र में इन दोनों की कला परंपरा से जुड़े कलाकारों की संख्या सबसे ज्यादा है। शौकिया या आधुनिक कला संस्थानों से प्रशिक्षित आदिवासी कलाकारों का एक दूसरा वर्ग है जिनकी संख्या बहुत कम है। ऐसे आधुनिक आदिवासी कलाकारों में से से कुछ को पिछले कुछ दशकों के दौरान अपने-अपने प्रांतों के भीतर अच्छी खासी प्रसिद्धी मिली है और कुछे एक की कलाकृतियों ने राष्ट्रीय प्रदर्शनियों मंे भी जगह बना पाने में सफलता हासिल की है। नागालैंड के तेमसुयांगेर लोंगकुमेर जैसे एक-दो कलाकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित हुए हैं। लेकिन समकालीन कला के क्षेत्र में अभी भी पारंपरिक आदिवासी कलाएं ही लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी हुई हैं।

1. आदिवासी साहित्य, त्रैमासिक पत्रिका, जुलाई-दिसम्बर अंक-7-8, जेएनयु नई दिल्ली प्रकाशन 2016, पृ. स.- 77
2. मईड़ा वजीम, झांबुआ एंव सीमावर्ती क्षैत्र मे प्रचलित आदिवासी लोककला एंव हस्त कला, अप्रकाशित शौध ग्रंथ राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, पृ. स. 63
3. विभिन्न कलाकारों से व्यक्तिगत साक्षात्कार कर द्वारा जानकारी प्राप्त की गई है।  

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