( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारतीय संगीत में लोक संगीत की स्थिति

    1 Author(s):  DR. RAJ KUMAR TRIPATHI

Vol -  7, Issue- 10 ,         Page(s) : 192 - 194  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

अगर ईश्वर कहीं विद्यमान है तो वह सर्वत्र है। इसी प्रकार संगीत भी सर्वत्र विद्यमान है। संगीत के दो प्रधान तत्व स्वर एवं लय प्रकृति के कण-कण में व्याप्त है। नदी का कलकल प्रवाह समुद्र की लहरें, पवन, मेघ, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु अपने-अपने तरह से संगीत से ओतप्रोत हैं। हमारा मस्तिष्क उस प्रकृति की विराटता और संगीत को एक सीमित स्तर तक ही समझ पाने में सक्षम होता है। ब्राह्मण और हमारे शरीर में लय एवं नाद अनवरत रूप से विद्यमान है। ऋषियों ने इसी संगीत को अनाहद नाद और ब्रह्म के रूप में परिभाषित किया है।

  1. हिन्दुस्तानी संगीत का इतिहास -
  2. ताल परिचय - गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव
  3. ताल प्रकाश - भगवतशरण शर्मा
  4. भारतीय लोक संगीत - डा0 वीणा श्रीवास्तव

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