( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 710    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

समकालीन हिन्दी कथा लेखिकाओं के कथा साहित्य में नारी का मनोवैज्ञानिक चित्रण

    1 Author(s):  DR. ARCHANA JHA

Vol -  7, Issue- 12 ,         Page(s) : 78 - 81  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

समकालीन महिला कथाकारों ने नारी की मनोदशा उसके अन्तरमन को विभिन्न समस्याओं से संबंध अन्तद्र्वद्व को जिस संजीदगी के साथ पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है जो पाठको को समाज में उसकी स्थिति व मनोदशा के संबंध में सोचने पर मजबूर कर देती है उन्होने अपनी सभी कहानियों में भारतीय परिवार की मेरूदण्ड कही जाने वाली नारी के विभिन्न रूप और उनकी समाज में स्थिति को व मनोदषा को पाठको के समक्ष तीव्र रूप में प्रस्तुत करते है।

1. जायसवाल,-अमर प्रसाद-हिन्दी उपन्यासो का वर्गगत अध्ययन, पृ.-159।
2. घोष, अश्व- हिन्दी कहानी सामाजिक संदर्भ, पृ.-73।
3. जोशी, मालती-10 प्रतिनिधि कहानियाँ पृ.-22।
4. जोशी, मालती -दर्द का रिश्ता शुभकामना पृ.-30।
5. जोशी, मालती -मेरे कत्ल में तुम्हारा हाथ था, पृ.-28।
6. भण्डारी, मन्नू- ’एक कहानी यह भी’, पृ.-206।
7. प्रियंवदा, उषा-’एक कोई दूसरा, पृ.-50।
8. प्रियंवदा, उषा- शून्य तथा अन्य रचनाएँ, पृ.-30-31।
9. सिंह संतबक्श, नई कहानीः उपलब्धि और सीमाएॅ-पृ.-313।
10. सोबती कृष्णा, भोले बादशाह, पृ-54।

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details