International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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‘लघु-रघु’ एक अध्ययन
1 Author(s): DR MADHUKARACHARYA TRIPATHI
Vol - 7, Issue- 5 , Page(s) : 150 - 154 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
इतिहास के धुंधलके में विकसित वैेदिक युग से लेकर प्रवत्र्तमान कम्प्यूटर युग तक संस्कृत भाषा की अनन्त सम्भावना पूर्ण क्षमताएं सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक विशेष सम्भावना को डाॅ.भास्कराचार्य त्रिपाठी ने चरितार्थ कर दिखाया है। केवल लघु वर्णों की सुदीर्घ काव्य परम्परा प्रस्तुत कर वे संस्कृत की भाषाई क्षमता से चमत्कृत होकर कहते हैं- ‘सत्यमियं वागथवा प्रत्यक्षकामधेनुः’।