International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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कार्य-सन्तुष्टिः एक विस्तृत अध्ययन
2 Author(s): DR. SUNIL KUMAR , NITIN KUMAR VERMA
Vol - 2, Issue- 1 , Page(s) : 55 - 69 (2011 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
एक व्यक्ति के लिए काम की अच्छी से अच्छी दशायें, सामाजिक सम्मान एवं प्रतिष्ठा, उत्तम वेतन, मनवांछित स्थान पर नियुक्ति होने के बावजूद उसे वह संतोष प्राप्त नहीं होता है जो किसी सामान्य योग्यता रखने वाले किसी दूसरे व्यक्ति को कम सुविधाजनक अवस्थाओं और कम वेतन में ही प्राप्त हो जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि संतुष्टि एक आन्तरिक गुण है वाह्य नहीं। इसका सम्बन्ध मनुष्य के हृदय से होता है। ऐसे अनेक व्यक्ति होते है जो श्रेष्ठतम अवस्थाओं में भी असन्तुष्ट दिखायी देते हैं और इसके विपरीत ऐसे भी अनेक व्यक्ति होते है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने कार्य से सन्तुष्ट नजर आते हैं। लेकिन इसके बावजूद इस तथ्य को भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि संतुष्टि अथवा सन्तोष की भावना के मूल में भी कुछ प्रवृत्तिमूलक और भौतिक परिस्थितियाँ होती है।