( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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हिन्दी गद्य के आधार स्तम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

    1 Author(s):  SONIYA CHOUDHARY

Vol -  6, Issue- 2 ,         Page(s) : 311 - 316  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी पराधीनता शासको के अमानवीय शोषण के चित्रण को अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया साथ ही हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। भारतेन्दु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिन्दी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। अपनी लेखनी एवं उत्कृष्ट भाषा के माध्यम से भारतेन्दु जी ने हिन्दी साहित्य को एक नयी दिशा प्रदान की एवं भाषा के क्षेत्र में उन्होंने खड़ी बोली के उस रूप को प्रतिष्ठित किया जो उर्दू से भिन्न है और हिन्दी क्षेत्र की बोलियों का रस लेकर संवर्धित हुई है।

1. आचार्य शुक्ल - ‘चिंतामणि‘, ए.टू.जेड़ पब्लिकेशंस, संस्करण 2001, पृष्ठ 117 (भाग-1)
2. परम्परा का मूल्यांकन-रामविलास शर्मा, पृष्ठ-105
3. परम्परा का मूल्यांकन-रामविलास शर्मा, पृष्ठ-108 
4. हिन्दी साहित्य का इतिहास-रामचन्द्र शुक्ल, पृष्ठ- 499
5. भाषा और संवेदना, पृष्ठ-5 
6. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र - रामचन्द्र शुक्ल, पृष्ठ-6
7. भारतेन्दु समग्र - पृष्ठ-588
8. हिन्दी का सामयिक इतिहास-विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, पृष्ठ-30
9. भारतेन्दु युगीन नाटक-डाॅ. सुशीला धीर पृष्ठ-47
10. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल - ‘चिंतामणि‘ए.टू.जेड़. पब्लिकेशंस, संस्करण 2001, पृष्ठ-118
11. शंभूनाथ, अशोक जोशी (सं.) ‘भारतेन्दु और भारतीय नवजागरण आने वाला कल प्रकाशन, 1986 पृष्ठ-86 
12. ‘हिन्दी साहित्य‘ उद्भव और विकास - हजारीप्रसाद द्विवेदी, राजकमल 1999, पृष्ठ -212

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