( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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बाजारवाद और समकालीन हिन्दी मीडिया

    1 Author(s):  DR. ARCHANA JHA

Vol -  5, Issue- 10 ,         Page(s) : 119 - 122  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

मीडिया के सामाजिक सरोकारो पर लगातार वैश्वीकरण व बाजार का नकारात्मक दबाव पड़ रहा है जिससे मीडिया को निष्पक्ष व निर्भीक तरीके से कार्य करना है न कि निर्णायक के रूप में साथ ही उसकी भूमिका समाज सुधारक व पथ प्रदर्शक की हो ताकि वह आमजन को सही राह दिखा सकें तथा मीडिया की जिम्मेदारी है वह समाज में शांति, सद्भावना व एकता कायम करने का माहौल बनाए और अपने सकारात्मक रूख को पेश करे जब ऐसा होगा तब पत्रकारिता का अर्थ बदल जाएगा। मीडिया लोकतंत्र का चैथा स्तंभ होने की बजाय लोकतंत्र की छत बन जाएगी, जिसकी छाया में समाज प्रगति की नित नयी ऊँचाईयों को छुयेगा।

  1. बाबल अनामिशरण - मीडिया के बदलते तेवर।
  2. गौतम रूपचंद - मीडिया और संस्कृति।
  3. परिहार कलुराम - मीडिया के सामाजिक सरोकार।
  4. मिश्र अखिलेश - पत्रकारिताः मिशन से मीडिया तक।
  5. सिंह निशांन्त - मीडिया के समाजिक सरोकार।
  6. बाबल अनामिशरण - मीडिया वाद-विवाद और संवाद।
  7. पचैरी सुधीर - जनसंचार माध्याम भाषा और साहित्य।
  8. मुकुल मंजु, शर्मा हरबंश - भारतीय साहित्य भाषा मीडिया और संस्कृति।
  9. सिंह रामगोपाल - वैश्वीकरण, मीडिया और समाज।
  10. .जोशी रामशरण - मीडिया और बाजारवाद।
  11. भारती संतोष ः- पत्रकारिता नया दौर, नए प्रतिमान।

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