( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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मानवाधिकार, सामाजिक न्याय एवं दलित वर्ग

    1 Author(s):  OMPAL KUMAR KALAWAT

Vol -  5, Issue- 8 ,         Page(s) : 383 - 387  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

आज भारत आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और षैक्षणिक दृष्टि से अग्रणी देषों मंे गिना जाता है। सदियों की दास्ता के पष्चात भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ है। इसके पष्चात देष में सामाजिक एवं राजनैतिक समीकरण बदले है। भारत में सूचना क्रातिं के कारण जीवन की गति तीव्र हुई है, इसके साथ ही कई समस्यायंे भी पैदा हुई है। वर्तमान में मानव के सामने सबसे बड़ी समस्या सम्मानपूर्वक जीने की है। आदि काल से भारत सामाजिक परिप्रेक्ष्य पर दृष्टिपात करे तो भारतीय समाज जाति व वर्ण व्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए मानवाधिकार एक सर्वोत्तम विकल्प है।

1. ए0आई0आर0 1958, मैसूर 84
2. ए0 आई0 आर0 1982, एस0 सी0 1473
3. जे0 एन0 पाण्डेय, भारत का संविधान, 2005, पृष्ठ 351
4. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण ) अधिनियम, 1989 तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण ) नियम, 1995, यूनिवर्सल लाॅ पब्लिषर्स, इलाहाबाद, 2011 पृष्ठ 9.
5. वार्षिक रिपोर्ट, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार 2010-11
6. हरकिषन संतोषी, दलितो के दलित स्थिति परिस्थिति और संभवनाये सस्ता साहित्य मण्डल नई दिल्ली

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