International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक में करुण रस
2 Author(s): SHIVANI GARG,DR. ALPANA SHARMA
Vol - 14, Issue- 4 , Page(s) : 417 - 424 (2023 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
अभिज्ञानशाकुन्तलम् महाकवि कालिदास की सर्वोत्कृष्ट कृति है | किसी भी रूपक के प्रमुख तत्त्व तीन माने गए हैं – वस्तु , नेता एवं रस | उक्त तीनों तत्त्वों में रस का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है | रसोद्रेक करना ही नाट्य का प्रमुख लक्ष्य है |