( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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उषा प्रियम्वदा कथा-साहित्य में प्रवासी जीवन और युग-चेतना

    3 Author(s):  RAJ KUMAR,DR. SAROJ CHAUDHARY ,DR . ALOK RANJAN PANDEY

Vol -  13, Issue- 8 ,         Page(s) : 98 - 108  (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

इस आलेख में उषा प्रियम्वदा के साहित्य को युंग-चेतना के आधर पर लिखने की कोशिश की है। साहित्यकार अपने युग में घटित-घटनाओं को समाज में देखता है और अपने कथा-साहित्य को यथार्थवादी मानयताओं के माध्यम से इसे साकार करने का प्रयास करता है जिसमें सामाजिक, राजनैतिक, परंपरा एवं आर्थिक व्यवस्था मध्य श्रेणी में रखा गया तथा मनुष्य की भावना एवं संवेदना को विशेषता के आधर पर, साहित्यकार की संवेदनशील जनचेतना द्वारा कथा-साहित्य के संदर्भ में विशेष एवं उत्कृष्ट भूमिका का परिचय दिया है।

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