( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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नाट्य संवाद एवं दृश्यात्मकता

    1 Author(s):  DR. KRISHNA LAL DHINGRA

Vol -  11, Issue- 10 ,         Page(s) : 399 - 408  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

नाट्य विधा शब्द पर आश्रित होने के बाद भी दृश्यात्मक विधा है। यहाँ दृश्यात्मकता की प्रभावान्विति ही प्रेक्षक अथवा पाठक के लिए सार्थकता एवं सरसता को प्रस्तुत करती है। नाटक की बिम्बात्मकता एवं अप्रस्तुत योजना किसी भी नाटक के सर्जनात्मक आयामों में एक प्रमुख आयाम है। इसके बिना कोई भी नाटक अपनी नाटकीय अभिव्यंजना को प्राप्त नहीं कर पाता। किसी भी नाटक के प्रणयन में शिल्प के स्तर पर अप्रस्तुतविधान एक महत्वपूर्ण उपादान होता है।

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