International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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डा. बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर- अछूतों दलितों एवं बहिष्कृतों के भविष्य निर्माता
1 Author(s): KRISHAN LAL
Vol - 5, Issue- 2 , Page(s) : 805 - 812 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
हिन्दू समाज एक बहु मंजली इमारत की तरह है जिसके अन्दर प्रवेष करने के लिए न कोई सीढी है और न बाहर आने के लिए कोई द्वार है। समाज एक ओर जहां विष्वास करता है कि जड पदार्थो में भी भगवान है, वहीं दूसरी और वह यह भी कहा जा सकता है कि कुछ लोग, जो उसी के अपनें अंग हैं स्पर्ष किये जानें योग्य नहीं है। ‘यह मेरी दृढ प्रतिज्ञा है कि मै उन षोषित लोगों की सेवा में अपना जीवन बलिदान कर दू जिनमें मैें पैदा हुआ था, जिन लोगों के बीच रह कर मैं बडा हुआ था जिनमें मैं रह रहा हॅू। मैं अपनी कर्तव्य परायणता से एक इंच भी नहीं हटूंगा और न ही मै उस आलोचना की चिन्ता करूंगा जो मेरे प्रतिद्वंद्वी कर रह हैं। ‘मैं घृणा करता हॅू अन्याय से, अत्याचार से, बनावटी गौरव व वैभव से, बकवास से व्यर्थ के विवाद से, और मेरी घृणा की लपेट में वे सभी व्यक्ति आते हैं जो इन सब बातों से ग्रस्त हैं उन्होनें सपष्ट किया कि वे समाज के श्रेष्ठ वर्ग द्वारा दलित वर्ग के प्रति किये जा रहे अत्याचारो को समाप्त करनें के लिए दृढ संकल्प हैं।