( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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चीन की विस्तारवादी नीति(भारत-चीन संबंधों के टकराव के विशेष संदर्भ में)

    1 Author(s):  SURESH BHATI

Vol -  13, Issue- 1 ,         Page(s) : 376 - 381  (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

1949 में साम्यवादी चीन अधिकारिक नाम ‘द पीपूल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना‘ अस्तित्व में आया तथा उसने अपनी विस्तारवादी नीति का परिचय अपनी विदेश नीति के सिद्धांतों में जाहिर कर दिया जिसके अंतर्गत चीन ने स्वतंत्रता और अखंडता की रक्षा करना, चीन को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना, एशिया में चीन का प्रभुत्व स्थापित करना, चीन की सीमाओं का विस्तार करना, चीन की सैनिक शक्ति में वृद्धि करना इत्यादि को अपनाया। चीन ने 1950 कोरिया युद्ध में हस्तक्षेप, 1950 में तिब्बत पर अधिकार, 1962 में भारत पर आक्रमण, 1969 में सोवियत संघ से सीमा विवाद, 1979 में वियतनाम पर आक्रमण, 1956 में म्यांमार के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप, 1958 में जापान इत्यादि के विरूद्ध अपनी हस्तक्षेपवादी या विस्तारवादी नीति का परिचय दिया।

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