International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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नयी ज़मीन तलाशती आत्मकथा “मैं हिजड़ा मैं लक्ष्मी”
1 Author(s): DR. PRATHYUSHA S. NAIR
Vol - 12, Issue- 5 , Page(s) : 100 - 104 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
खुशी की बात हैं कि संवैधानिक तौर पर जो तमाम अधिकार स्त्री और पुरुष को प्राप्त था अब वह सब अधिकार थेर्ड जेंडर को भी प्राप्त है । 2015 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया यह आदेश ज़रूर किन्नर समुदाय की पहचान को एक नई ऊँचाई देगा । तृतीय लिंगी समुदाय की पहचान को समाज के सामने खुलकर प्रस्तुत करने की क्षमता लेकर प्रस्तुत है लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की आत्मकथा “मैं हिजड़ा मैं लक्ष्मी” । इस किताब का शब्दांकन वैशाली रोड़े ने किया हैं ।