International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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हिंदी उपन्यासों में किसान प्रतिरोध
1 Author(s): DR. VIRENDER SINGH KASHYAP
Vol - 12, Issue- 4 , Page(s) : 77 - 85 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारत एक कृषि प्रधन देश है। भारतीय अर्थव्यवस्था हमेशा कृषि पर निर्भर रही है। कृषक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। विकास और औद्योगिकरण के कारण वह हाशिये पर चला गया है। उसे उतना महत्त्व नहीं मिलता जितना औद्योगिकरण से पूर्व मिलता था। विकास के पफलस्वरूप कल-कारखाने खुले और कारखानों ने कृषक से उसकी भूमि छीन ली। ध्ीरे-ध्ीरे कृषक अपनी भूमि से बेदखल होकर मजदूर बन गया अर्थात् उसे हाशिये पर खड़ा कर दिया गया।