( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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ब्रह्मकाण्ड की स्वोपज्ञवृत्ति का विश्लेषण

    1 Author(s):  DR. SHRIVATSA SHASTRI

Vol -  7, Issue- 12 ,         Page(s) : 381 - 385  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

यद्यपि स्वोपज्ञवृत्ति कारिकाओं की व्याख्या है फिर भी अपने आप में एक स्वतन्त्र रचना है। कई स्थलों पर यह कारिकाओं के शब्दों को न छूती हुई उसके मर्मस्थल को छूने का प्रयास करती है। उस मर्म स्थल को स्पष्ट करने के प्रयास में उसकी शैली के कारण उसमें अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्य भी प्रकाशित हो गये हैं। जिस बात को कारिका में सरल शब्दों में एक तथ्य के रूप में कह दी गयी है उसको विस्तृत करती हुई वृत्ति एक नई वस्तु प्रस्तुत करती है और उसमें अनेक प्राचीनतम ग्रन्थों के उद्धरणों का समावेश कर उसको दृढ़भूमि प्रदान करती है।

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