International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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दलित आत्मकथाओं में अभिव्यक्त दर्द और द्वंद्व
1 Author(s): DR.BINU.D
Vol - 12, Issue- 3 , Page(s) : 14 - 23 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
आधुनिक युग का साहित्य अपने युगीन मूल्यों की मशाल उठाये चलता है। तत्कालीन परिस्थितियों में ही साहित्य आकार लेता है क्योंकि कोई भी साहित्य देश, काल और वातावरण से अछूता नहीं रह सकता। राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं साहित्यक परिस्थितियों का प्रभाव वह ग्रहण करता जाता है। भारतेन्दु के समय से ही प्रगतिशील तत्वों का समावेश साहित्य में दिखाई देने लगा था। मनुष्य और साहित्य का अटूट संबंघ होता है। दरिद्रता, सामाजिक-विषमता,राजनीतिक-सजगता आदि विविध अनुभवों के आधार पर साहित्य को यथार्थवादि दृष्टि मिली है