( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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कृष्णा सोबती के सूरजमुखी अँधेरे के कथानक में मनोविज्ञान

    1 Author(s):  UDAY KUMAR YADAV

Vol -  11, Issue- 12 ,         Page(s) : 56 - 62  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

‘सूरजमुखी अँधेरे के‘ उपन्यास के कथानक में एक स्त्री लेखिका द्वारा समाज में किए जाने वाले औरतों पर अत्याचार, व्यभिचार तथा शोषण का मनोवैज्ञानिक चित्रण पहली बार समाज के सामने खुलकर किया गया। लेखिका ने बड़े ही साहस का परिचय दिया है और स्त्रियों को उसके समुचित स्थान तथा हक के लिए आवाज उठाने का कार्य किया है। कृष्णा जी इस उपन्यास में एक ऐसी लड़की को लेकर आई हैं जो हमेशा समाज में प्रताड़ित होती रहती है। बचपन में ही बाल यौन शोषण की शिकार हो जाती है।

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