International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
सांख्य चिंतन और व्यावहारिक नीतिशास्त्र
1 Author(s): ANSHU ANAND
Vol - 11, Issue- 5 , Page(s) : 277 - 282 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
सम्पूर्ण भारतीय दर्शन, धर्म, संस्कृति और लोक-व्यवहार में सांख्य ही विभिन्न रूपों और दृष्टिकोणों में व्यक्त हुआ है। सांख्य दर्शन दुनियाँ का सबसे प्राचीन परन्तु वैज्ञानिक दर्शन है जिसका आविष्कार भारत भूमि पर हुआ और जिस दर्शन ने वैदिक कर्मकाण्ड, योग, ज्योतिष, आयुर्वेद आदि शास्त्रों का उन्नयन किया। यहाँ तक कि वेदान्त अद्वैत और योग सब सांख्य की उपलब्धि हेतु अनेक मार्ग हैं। वेद से भी पहले सांख्य के तत्व भारतीय मनीषियों ने खोज निकाले थे, जिससे प्रभावित होकर नास्तिक-आस्तिक सभी दर्शनों का प्रतिपादन हुआ। सांख्य नहीं होता तो वेदान्त, अद्वैत, योग, जैन, बौद्ध, तन्त्र कुछ भी नहीं होता।