International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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मृच्छकटिकम् : नाट्यशास्त्रीय अनुशीलनम्
1 Author(s): UMESH SAFI
Vol - 11, Issue- 3 , Page(s) : 370 - 373 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय साहित्य विशेषतः नाटक जीवन के परम सत्य एवं सूक्ष्म आदर्शों को पूर्ण निष्ठा के साथ व्यक्त करता है जो चेतन एवं अचेतन प्राणियों में भी प्राण फूँक देता है एवं उन्हें कुमार्ग से सन्मार्ग की ओर प्रेरित करता है, एक नाटककार जीवन के शश्वत सत्य को उजागर करने में सफलता प्राप्त कर सकता है। नाटक शब्द नट् अव स्पन्दने धातु से ण्वुल प्रत्यय करने पर निष्पन्न होता है। जिसका अभिप्राय है-स्वांग या रूपक।