International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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गाँधीजी के सन्दर्भ में पर्यावरण की रक्षा
1 Author(s): RAJ KUMAR MALLIK
Vol - 11, Issue- 1 , Page(s) : 574 - 579 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
पृथ्वी पर प्राण और वनस्पति का हमेशा एक समतोल रहा है। सहज समतोल प्रकृति का स्वभाविक गुण है। प्रकृति में जो कुछ विद्यमान अथवा दृश्यमान है उसमें मनुष्य सर्वादृष्ट कृति है। प्रकृति का एक अनुपम अनमोल अंग है। इसीलिए प्रकृति के सहज सन्तुलन में जब किसी प्रकार का बिगाड़ होता है तो उसकी सर्वाधिक जिम्मेदारी मनुष्य समाज की होती है। उसी का दायित्व बन जाता है कि बिगाड़ से उत्पन्न विसंगतियों को समाप्त करें और फिर से उसे पटरी पर लायें।