International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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भारतीय शिक्षा का इतिहास और उसकी विशेषताएं
1 Author(s): DR RAVITA RANI
Vol - 11, Issue- 10 , Page(s) : 280 - 284 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय शिक्षा का इतिहास ही भारतीय संस्कृति का मूल आधार रहा है। इसी शिक्षा पद्धति के आधार पर भारत विश्व गुरू के रूप में जाना जाता रहा है। भारतीय शिक्षा का स्वरूप वैदिक काल में गुरूकुलीय शिक्षा पद्धति के रूप में अत्याधिक सशक्त था। इस शिक्षा का प्राचीन इतिहास के परिप्रेक्ष्य से आंकलन किया जाए तो विश्व इतिहास में इसका परचम लहराता था। भारत में शिक्षा गुरूकुलों में गुरूओं द्वारा एवं आचार्यों द्वारा प्रदान की जाती थी। गुरूकुलीय शिक्षा पद्धति से प्रदान की गई शिक्षा सक्षम सुयोग्य एवं सुसंस्कारित होने के कारण समाज में गौरवपूर्ण सम्मान रखती थी। गुरू एवं शिष्य में पिता एवं पुत्र की भांति स्नेह परस्पर मिलता है। दोनों ही अपने-अपने गौरवपूर्ण पद और दायित्वों को संभाले हुए थे। गुरूकुल स्नातक समाज एवं राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते थे।