International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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पाटिलिपु़त्र : समाहार आख्यान
1 Author(s): DR. VIJAY KUMAR MANDAL
Vol - 10, Issue- 8 , Page(s) : 389 - 392 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
अद्धितीय महानगर पाटलिपुत्र जो वर्तमान में बिहार की राजधानी और कई राजवंशों की राजधानी बनने का गौरव प्राप्त की है भारत वर्ष का संभवतः यह एक अकेला नगर है जो अलग-अलग शासको के द्धारा अलग-अलग समय में अलग-अलग नामों से जाना गया है, जैन साहित्य कुवलयमाल कहा के अनुसार पा्रचीन ग्रंथ में पाटलिपुत्र के लिए अन्य नाम प्रयुक्त हुए है ा व्हेनत्सांग के कथनानुसार गंगा नदी के दक्षिण में स्थित पाटलिपुत्र नगर 70 ली के घेरे में है यद्यपि यह बहुत दिनों से उजाड होता आ रहा है ा परंतु पहले की अपेक्षा वहां की रहन-सहन, खान-पान, मकान, झोपडीं, फलाईट अच्छें बने हुए है।