( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भट्टिकाव्य में साहित्यिक दृष्टिकोण से काव्य-वर्गीकरण विधि

    1 Author(s):  KRISHNA KUMAR

Vol -  8, Issue- 9 ,         Page(s) : 312 - 317  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

परवर्ती आचार्यो में सर्वोत्तम काव्य-वर्गीकरण आचार्य हेमचन्द्र तथा साहित्यदर्पणकार आचार्य विश्वनाथ का है। साहित्यदर्पण के छठे परिच्छेद में वह सर्वप्रथम काव्य को द्विविध मानते हें- दृश्य एवं श्रव्य। दृश्य को ही रूपक भी कहते हैं। दृश्य के अनन्तर आचार्य श्रव्यकाव्य का विस्तार बताते हैं - पद्य तथा गद्य। छन्दोबद्धपदं पद्यम् - अर्थात् छन्दोबद्ध पदों बन्ध ही पद्य कहा जाता है।

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