( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा नीति : एक विश्लेषण

    1 Author(s):  DR. VIDESH PRASAD SINGH

Vol -  11, Issue- 7 ,         Page(s) : 390 - 398  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

18वीं शताब्दी के अंत में भारतीय समाज वस्तुतः सामान्तवादी था, जिसमें अनेक वर्ग और अनेक जातियाँ एवं जन-जातियाँ निवास करती थी। भारतीय शासकों ने शिक्षा की जिम्मेदारी नहीं ली थी, न जनता की शिक्षा के लिए कोई ब्यापक प्रयत्न ही किए थे। वे केवल उच्च शिक्षण संस्थाओं को मुख्यतः धार्मिक आधारों पर कुछ विŸाय सहायता प्रदान करते थे। शिक्षा की औपचारिक संस्थाएँ अर्थात् विद्यालय स्थापित किए जाते थे, जिनमें वे हीं लोग प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करते थे, जिन्हें पढने व हिसाब-किताब की जरूरत परती थी। जैसे- सरकारी कर्मचारी ब्यापारी, साहुकर, सम्पन्न जमींदार आदि। मुसलमानों की शिक्षा के लिए मदरसे थे।

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